संस्कारों की पाठशाला संयुक्त परिवार
भारत संस्कारो का देश है यहां की नित नूतन चिर पुरातन परम्परा देश और विदेश में गौरव का विषय रही है ! भारत गांव में बसता है जहां संस्कृति स्पष्ट झलकती है आज भी गांव में संयुक्त परिवार का चलन देश और विदेश के लोगों को ना सिर्फ आकर्षित करता है बल्कि उन्हें जीने की कला भी सिखाता है आज का बालक कल का नागरिक और देश का भविष्य होगा ये भविष्य वैसा ही होगा जैसी वहां की संस्कृति होगी लेकिन ये संस्कृति तभी अच्छी होगी जब प्रत्येक परिवार में वैसे संस्कार होंगे ! पाश्चात्य सभ्यता का अंधानुकरण भारतीय संस्कृति में जहां कुठाराघात कर है वहीं एकल परिवार की अग्नि भस्म कर रही है !
संयुक्त परिवार बेहतर संस्कृति का निर्माण करते है ! ये परिवार के हर बच्चे की प्रथम पाठशाला होते है संयुक्त परिवार का प्रत्येक सदस्य बच्चे का आचार्य होता है इस परिवार रुपी पाठशाला में परिजन रुपी आचार्यों द्वारा सिखाए गए शिक्षा, संस्कार हर बालक और उसके परिवार के भाग्य का निर्धारण करते है इतिहास पर गौर किया जाए तो भारत मां की कोख से एक से एक वीर महापुरूषों ने जन्म लेकर राष्ट्र को गौरांवित किया है इन वीर महापुरुषों को ऐसे ही संस्कारवान संयुक्त परिवारों ने जन्म दिया है वर्तमान में संयुक्त परिवार का घटता प्रभाव और एकल परिवार का बढ़ता प्रभाव एक गंभीर चिंतनीय विचारणीय समस्या है जो संस्कृति को नष्ट कर रही है !
• विशाल शुक्ल