मैंने एक पौधा लगाया था

मैंने एक पौधा लगाया था,
यह सोचकर कि————-,
कल वह एक चमन बनेगा,
धीरे-धीरे वह बड़ा भी हो गया,
इस तरह आ गया नया वर्ष भी,
मेरी कल्पनाओं को साकार करने का समय,
उसको मेरे अरमानों को पूरा करना था,
लेकिन वह नववर्ष में भी नवरूप में था।
मैंने एक पौधा लगाया था,
यह सोचकर कि———-,
लेकिन कल का कोई निशान,
उसमें नहीं था सुकून देने के लिए,
वह अंग्रेजी तालीम का आईना था,
काश, ऐसा पहले सोचा होता,
यह मन इतना टूटा तो नहीं होता,
इस नववर्ष पर।
मैंने एक पौधा लगाया था,
यह सोचकर कि—————,
वह मुझको प्यार करेगा,
उस पर मुझको गर्व होगा,
और मैं यह कहूँगा कि,
वह मेरा सपना है,
जिसको कल मुकम्मल होना है,
लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
मैंने एक पौधा लगाया था,
यह सोचकर कि———————–।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)