प्रेम
छूकर तेरे नम होंठों से
जल हो जाए गंगाजल जैसा !
लिखा तेरा नाम कागज पे
तो दिखा गजल जैसा !!
मचलते रहे तेरे दीदार को
चांद दिखा तेरी नकल जैसा !
पूनम की रात थी बड़ी सुहानी
पर चांद नहीं था कल जैसा !!
खिलेगी कलियां पतझड़ में !
सोचा… ना था
प्रेम बरसेगा सावन जैसा !!
रूठ जाएगी तितलियां
फूलों को क्या पता था ?
होगा वसंत का अंत ऐसा !!
• विशाल शुक्ल