होलिका दहन और रंगोत्सव

आज होलिका दहन है। माना जाता है कि आज से बहुत साल पहले हिरण्यकशिपु नाम का राजा राज करता था जिसके बेटे का नाम प्रह्लाद था। प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था जबकि हिरण्यकशिपु विष्णु का विरोधी था। प्रह्लाद विष्णु को पाने के तमाम प्रयत्न करता था जिसमे उसका पिता हमेशा रुकावटें डाला करता था। यहाँ तक कि उसने प्रह्लाद की निष्ठा, लगन और विष्णु के प्रति उसके जुनून से आजिज आकर उसे कई बार मारने का प्रयास भी किया। लेकिन प्रह्लाद अपने रास्ते और निश्चय से बिल्कुल भी नहीं डिगा और एक दिन उसने उन्ही विष्णु को नरसिंह के रूप में एक नया अवतार लेने पर विवश कर दिया।
प्रह्लाद उदाहरण है कि अगर आप किसी भी चीज को पूरी शिद्दत से चाहते हो तो एक दिन वो चीज आपको जरूर मिलेगी भले ही रास्ते मे कितनी भी बाधाएं या रुकावटें क्यों न आएं। बस एक बात हमेशा याद रखनी है कि हमारा संकल्प, हमारा जुनून, लक्ष्य के प्रति हमारी निष्ठा कभी कमजोर न होने पाए। मार्ग में कई हिरण्यकशिपु, होलिकाएँ, पूतनाएँ और कंस आयेगें लेकिन अगर हम उनसे विचलित हुए बिना खुद पर और अपनी मेहनत पर भरोसा रखते हुए आगे बढ़ेंगे तो एक दिन जरूर वो पा जाएंगे जो हम चाहते हैं। तुलसीदास जी ने भी रामचरित मानस में लिखा है कि’
“जेहि के जेहि पर सत्य सनेहु
सो तेहि मिलहि न कछु संदेहू।”
इसलिए इस होलिका दहन के दिन अपने भीतर के प्रह्लाद को जगाइए और और अपनी लगन और मेहनत से मंजिल को अपने पास आने के लिए विवश कर दीजिए।
शुभ होली।
आपका
अरविंद कुमार गिरि