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20 Feb 2024 · 1 min read

#शबाब हुस्न का#

तेरी हर अदा,
जैसे लचकते फूलों की डालियां,
तेरे महकते गेसुओं की लटें
जैसे सावन की काली घटाएं
तेरे सुर्ख लबों पर ये तबस्सुम
जैसे आफताब की रोशनी
तेरे पायल की झनकार जैसे
ऊंचे झरने से बहता दरिया,
तेरी रंग-बिरंगी चूड़ियों की खनक
जैसे दूर कहीं बजता जलतरंग,
तेरे कदमों की आहट कहीं
मदहोश न कर दे किसी आशिक को,
जमीं पर आहिस्ता से पांव रखने की
तेरी अदा बहुत का़तिल है।

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