Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Mar 2024 · 1 min read

शेर –

मेरे घर को खा गई वो दीमक की तरह,
कुछ ऐसी गलतियां मेरे अपनो ने की,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान

Language: Hindi
Tag: शेर
195 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

*गज़ल
*गज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
अपने नियमों और प्राथमिकताओं को बहुत स्पष्ट रूप से परिभाषित क
अपने नियमों और प्राथमिकताओं को बहुत स्पष्ट रूप से परिभाषित क
पूर्वार्थ
वक्त-वक्त की बात है
वक्त-वक्त की बात है
Pratibha Pandey
ग़ज़ल _ शौक़ बढ़ता ही गया ।
ग़ज़ल _ शौक़ बढ़ता ही गया ।
Neelofar Khan
कुंभकार
कुंभकार
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
इख़्तिलाफ़
इख़्तिलाफ़
अंसार एटवी
यही सोचकर आँखें मूँद लेता हूँ कि.. कोई थी अपनी जों मुझे अपना
यही सोचकर आँखें मूँद लेता हूँ कि.. कोई थी अपनी जों मुझे अपना
Ravi Betulwala
" सोचो "
Dr. Kishan tandon kranti
तजुर्बे से तजुर्बा मिला,
तजुर्बे से तजुर्बा मिला,
Smriti Singh
* थके पथिक को *
* थके पथिक को *
surenderpal vaidya
कब तक छुपाकर रखोगे मेरे नाम को
कब तक छुपाकर रखोगे मेरे नाम को
Manoj Mahato
शुभ संकेत जग ज़हान भारती🙏
शुभ संकेत जग ज़हान भारती🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
प्रेम ईश्वर
प्रेम ईश्वर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अक्सर तुट जाती हैं खामोशी ...
अक्सर तुट जाती हैं खामोशी ...
Manisha Wandhare
बड़ी मादक होती है ब्रज की होली
बड़ी मादक होती है ब्रज की होली
कवि रमेशराज
👏मेरे प्रभु!!👏
👏मेरे प्रभु!!👏
*प्रणय प्रभात*
*
*"अवध में राम आये हैं"*
Shashi kala vyas
पवित्रता
पवित्रता
Rambali Mishra
प्रेरणा गीत
प्रेरणा गीत
अनिल कुमार निश्छल
"ना कृष्णा ना राम मिलेंगे"
Madhu Gupta "अपराजिता"
ग़ज़ल(चलो हम करें फिर मुहब्ब्त की बातें)
ग़ज़ल(चलो हम करें फिर मुहब्ब्त की बातें)
डॉक्टर रागिनी
बेबाक ज़िन्दगी
बेबाक ज़िन्दगी
Neelam Sharma
बाण मां के दोहे
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
चैत्र प्रतिपदा फिर आई है, वसुधा फूली नही समाई है ।
चैत्र प्रतिपदा फिर आई है, वसुधा फूली नही समाई है ।
विवेक दुबे "निश्चल"
आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
దేవత స్వరూపం గో మాత
దేవత స్వరూపం గో మాత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
देखा है कभी?
देखा है कभी?
सोनू हंस
राह में मिला कोई तो ठहर गई मैं
राह में मिला कोई तो ठहर गई मैं
Jyoti Roshni
शब-ए-सुखन भी ज़रूरी है,
शब-ए-सुखन भी ज़रूरी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
4753.*पूर्णिका*
4753.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...