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21 Aug 2024 · 1 min read

" सोचो "

” सोचो ”
वो शासक भी क्या शासक है,
जिनसे खुश कोई रियाया नहीं।
वो हुनर भी आखिर क्या हुनर है,
जो महफ़िल में रंग जमाया नहीं।

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