“रहना नहीं तुम्हारे बिना “

डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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नहीं लगता मेरा ये दिल,
मुझे क्यों याद आती हो !
करूँ क्या मैं भला बोलो ,
मुझे रहरह सताती हो !!
बनाता हूँ कोई भी चीज ,
तेरी तस्वीर बनती है !
लिखूँ किसी और की बातें,
तेरी कविता ही बनती है !!
चमन के फूल से मुझको ,
कभी नहीं रास आती है !
मेरे मन में तेरी खुसबू ,
सदा ही याद आती है !!
है सूना दिन तुम्हारे बिन ,
नहीं ये रात कटती है !
हमेशा लेता हूँ करबट ,
मेरी तो जान जाती है !!
जिधर देखूँ उधर तुम हो ,
तुम्हारे रूप का जादू !
नहीं मेरा दिल संभलता है ,
मेरा सब कुछ किया काबू !!
मेरे तुम संग रहकर ही ,
मेरा उपचार तुम कर दो !
नहीं अब दूर ही रहना ,
मेरा उपकार तुम कर दो !!
नहीं लगता मेरा ये दिल,
मुझे क्यों याद आती हो !
करूँ क्या मैं भला बोलो ,
मुझे रहरह सताती हो !!
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डॉ लक्ष्मण झा परिमल
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
04 .05 .2025