*आत्मा का अर्पण*
तेरे संग हर साँस महकती,
तेरे बिना जीवन सूना,
तेरी हँसी चाँदनी जैसी,
तेरा संग मधुमास पूरा।
तेरी बाँहों में है विश्रांति,
तेरी आँखों में संसार मेरा,
तेरे स्पर्श से जागे चेतन,
तेरी छाया सुख आधार मेरा।
जीवन की हर कठिन डगर में,
तेरा साथ ही मेरा संबल है,
तेरी बातों की वह मिठास,
मेरा मन-प्राण का कंचन जल है।
प्रेम नहीं बस शब्द मात्र,
यह तो आत्मा का अर्पण है,
तू ही मेरा दिनकर, शशि तू,
तू ही तो मन का दर्पण है।
©® डा० निधि श्रीवास्तव “सरोद”