आज फिर कोई अपना हताश हो गया

आज फिर कोई अपना हताश हो गया
शायद थी कुछ अनबन
रोके पर भी आंसू रो पड़े
मन की वेदना
रील को हमदर्द मान हमें बांट गया
आज फिर कोई अपना निराश हो गया
@ जितेन्द्र कुमार ‘सरकार’
आज फिर कोई अपना हताश हो गया
शायद थी कुछ अनबन
रोके पर भी आंसू रो पड़े
मन की वेदना
रील को हमदर्द मान हमें बांट गया
आज फिर कोई अपना निराश हो गया
@ जितेन्द्र कुमार ‘सरकार’