पापा जी..! उन्हें भी कुछ समझाओ न...!
ऐ दिल न चल इश्क की राह पर,
जिन्हें सिखाया तैरना, दरिया में हर बार
अपनी काविश से जो मंजिल को पाने लगते हैं वो खारज़ार ही गुलशन बनाने लगते हैं। ❤️ जिन्हे भी फिक्र नहीं है अवामी मसले की। शोर संसद में वही तो मचाने लगते हैं।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
भाषा और बोली में वहीं अंतर है जितना कि समन्दर और तालाब में ह
*संगीतमय रामकथा: आचार्य श्री राजेंद्र मिश्र, चित्रकूट वालों
होली के लिए रंग-गुलाल की क्या ज़रूरत है साहब! अब तो काले-सफेद
परम प्रकाश उत्सव कार्तिक मास
पाठको से
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
तेरे दर पे आये है दूर से हम
ग़ज़ल(नाम तेरा रेत पर लिखते लिखाते रह गये)
तमाम रात वहम में ही जाग के गुज़ार दी
*समय*
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
नजरों के वो पास हैं, फिर भी दिल दूर ।
फूल सी खुश्बू लुटातीं बेटियां
emotional intelligence will always be my standard. i value p
एक कवि की कविता ही पूजा, यहाँ अपने देव को पाया