झूँठ के परदे उठते हैं ।

झूँठ के परदे उठते हैं ।
सत्य के चेहरे दिखते हैं ।
सत्य छुपे है जब तक ,
झूठ तभी तक टिकते है ।
….. विवेक दुबे”निश्चल”@….
झूँठ के परदे उठते हैं ।
सत्य के चेहरे दिखते हैं ।
सत्य छुपे है जब तक ,
झूठ तभी तक टिकते है ।
….. विवेक दुबे”निश्चल”@….