Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jun 2024 · 1 min read

शीर्षक बेटी

शीर्षक –स्वैच्छिक- बेटी*
************
बेटी ही आज बेटा बनी हैं।
जीवन में कदमों से शान हैं।
हम धन की कामना करते हैं।
बेटी ही तो लक्ष्मी स्वरुप हैं।
मन हमारा स्वार्थ रखता हैं।
जिंदगी में बेटी से भेद रखते हैं।
सच तो बेटी दो घर बसाती हैं।
जन्मदायिनी और ईश्वर होती हैं।
बेटी ही तो सेवा भाव रखती हैं।
मन भावों में माता-पिता बसते हैं।
हां सब पराए घर की कहते हैं।
सदा दो घरों को सहयोग देती हैं।
बेटी ही सच एक मान सम्मान होती हैं।
**********************
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 98 Views

You may also like these posts

अगर आप आदमी हैं तो / (नईकविता)
अगर आप आदमी हैं तो / (नईकविता)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
जिन्दगी का संघर्ष
जिन्दगी का संघर्ष
Pramod kumar
? ,,,,,,,,?
? ,,,,,,,,?
शेखर सिंह
दोहा पंचक. . . . .
दोहा पंचक. . . . .
sushil sarna
जो बिछड़ गए हैं,
जो बिछड़ गए हैं,
Meera Thakur
व्यथा
व्यथा
Laxmi Narayan Gupta
3864.💐 *पूर्णिका* 💐
3864.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
गीत-14-15
गीत-14-15
Dr. Sunita Singh
हमारी भतीजी
हमारी भतीजी
Ravi Prakash
मुझसे मेरी पहचान न छीनों...
मुझसे मेरी पहचान न छीनों...
इंजी. संजय श्रीवास्तव
आपकी गुड-मॉर्निंग व गुड-नाइट में इतना
आपकी गुड-मॉर्निंग व गुड-नाइट में इतना "गुड़" भी नहीं होना चाह
*प्रणय*
दलितों जागो अपना उत्थान करो
दलितों जागो अपना उत्थान करो
डिजेन्द्र कुर्रे
गुमनाम रहने दो मुझे।
गुमनाम रहने दो मुझे।
Satish Srijan
जीवन भर मरते रहे, जो बस्ती के नाम।
जीवन भर मरते रहे, जो बस्ती के नाम।
Suryakant Dwivedi
स्मृतियाँ
स्मृतियाँ
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
बहुजन अथवा ओबीसी साहित्य बनाम दलित साहित्य / मुसाफ़िर बैठा
बहुजन अथवा ओबीसी साहित्य बनाम दलित साहित्य / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
घुली अजब सी भांग
घुली अजब सी भांग
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
वो_घर
वो_घर
पूर्वार्थ
"जवाब"
Dr. Kishan tandon kranti
आबूधाबी में हिंदू मंदिर
आबूधाबी में हिंदू मंदिर
Ghanshyam Poddar
छूट रहा है।
छूट रहा है।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
तेरी खुशियों में शरीक
तेरी खुशियों में शरीक
Chitra Bisht
क्या हो गया?
क्या हो गया?
Rambali Mishra
"" *स्वस्थ शरीर है पावन धाम* ""
सुनीलानंद महंत
इंसान की फ़ितरत भी अजीब है
इंसान की फ़ितरत भी अजीब है
Mamta Rani
“दो बूँद बारिश की”
“दो बूँद बारिश की”
DrLakshman Jha Parimal
Vishal Prajapati ji
Vishal Prajapati ji
Vishal Prajapati
2122  2122  2122  212
2122 2122 2122 212
Neelofar Khan
"हर खुशी के लिए एक तराना ढूंढ लेते हैं"
राकेश चौरसिया
Loading...