Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 May 2024 · 1 min read

नवगीत : हर बरस आता रहा मौसम का मधुमास

विषय –बसंत
नवगीत —

हर बरस आता रहा
मौसम का मधुमास।
हर बरस देता रहा
ललछौही-सी आस।।

मलयानिल इठला बहा
नव कोपल लख हास
मस्ती और उमंग में
आकर्षण की फाँस

हर बरस आता रहा
फिर फिर नवल उजास।।

आम्र डाल भी फूटती
निज यौवन के साथ
मधुमक्षिका भ्रमर भी
नाचें हाथ लें हाथ।

हर बरस हँसता रहा
झुलसा हुआ पलास।।

डाल डाल से फूटता
वासंती का रूप
नवल अगन अहसास दे
हँसती कच्ची धूप

हर बरस जलती रही
हरी-भरी बस घास।।

फूट फूट खिलता रहा
वो आँगन का नीम
प्रस्फूटन खामोश थी
निज अधरों को सीम

हर बरस रिसता रहा
मन में बसा हुलास।।

इठला इठला खेत भी
देखे आँख तरेर
नटखट फागुनी सँग में
करे तेर और मेर

बार बार थमती रही
वह अधरों की प्यास।।

कोयल कूक निभा रही
अब बसंत का साथ
धरती सज दुल्हन बनी
बसंत चूमें माथ

कसक कसक चुभती रही
लगी हृदय में फाँस।।

सुशीला जोशी, विद्योत्मा
मुजफ्फरनगर-251001
उत्तर प्रदेश
9719260777

Language: Hindi
1 Like · 118 Views

You may also like these posts

राम आएंगे
राम आएंगे
Neeraj Agarwal
केवट और श्री राम
केवट और श्री राम
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
*pyramid*
*pyramid*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"चलना और रुकना"
Dr. Kishan tandon kranti
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
हनुमत पूंछ चूमता देखा, रावण सोचा पूंछ है प्यारी। आग लगा दो प
हनुमत पूंछ चूमता देखा, रावण सोचा पूंछ है प्यारी। आग लगा दो प
Sanjay ' शून्य'
पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ
पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ
Buddha Prakash
The greatest luck generator - show up
The greatest luck generator - show up
पूर्वार्थ
शे
शे
*प्रणय*
यूं हाथ खाली थे मेरे, शहर में तेरे आते जाते,
यूं हाथ खाली थे मेरे, शहर में तेरे आते जाते,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वो दिन क्यों याद
वो दिन क्यों याद
Anant Yadav
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
- बदल रहा संसार -
- बदल रहा संसार -
bharat gehlot
दोहा सप्तक. . . . . मन
दोहा सप्तक. . . . . मन
sushil sarna
मेरी जातक कथा
मेरी जातक कथा
उमा झा
School ke bacho ko dusre shehar Matt bhejo
School ke bacho ko dusre shehar Matt bhejo
Tushar Jagawat
ज़िंदगी पर तो
ज़िंदगी पर तो
Dr fauzia Naseem shad
धधक रही हृदय में ज्वाला --
धधक रही हृदय में ज्वाला --
Seema Garg
गुमनाम ईश्क।
गुमनाम ईश्क।
Sonit Parjapati
धरती के भगवान
धरती के भगवान
Shekhar Chandra Mitra
तुम साधना हो
तुम साधना हो
Pratibha Pandey
यह कैसे रिश्ते ?
यह कैसे रिश्ते ?
Abasaheb Sarjerao Mhaske
आप खुद को हमारा अपना कहते हैं,
आप खुद को हमारा अपना कहते हैं,
ओनिका सेतिया 'अनु '
किसी से इश्क़ मत करना
किसी से इश्क़ मत करना
SURYA PRAKASH SHARMA
ख़ता हुई थी
ख़ता हुई थी
हिमांशु Kulshrestha
सृष्टि चक्र की स्तंभ नारी
सृष्टि चक्र की स्तंभ नारी
Sudhir srivastava
4899.*पूर्णिका*
4899.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ग्रुप एडमिन की परीक्षा प्रारंभ होने वाली है (प्रधानाचार्य इस
ग्रुप एडमिन की परीक्षा प्रारंभ होने वाली है (प्रधानाचार्य इस
Ashwini sharma
आज के दौर में मौसम का भरोसा क्या है।
आज के दौर में मौसम का भरोसा क्या है।
Phool gufran
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Loading...