Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jan 2024 · 2 min read

#अभी रात शेष है

✍️

★ #अभी रात शेष है ★

पुन: स्मरण करें आज
कैसे देश श्मशान हुआ था
पंख काटकर सोन-चिरैया के
स्वतंत्रता का गान हुआ था
बलिदानी शव बने थे सीढ़ी
लगाम थामना आसान हुआ था
सूरज उगते बदला नहीं दिनांक
बीच रात स्वामी गुणगान हुआ था

पुन: स्मरण करें आज . . . . .

नर्म गद्दों पर भारत की खोज उधर
इधर आकाश चूमता लाशों का अंबार
लाठी गोली फांसी माँ के सपूतों को
गोलमेज़ पर बैठे वार्ताकार यार
घर छिनने लुटने की खुशी मनाएं वो
नहीं धरती से जिनका सरोकार
काला पानी की कंदराओं में क़ैद भारत
हंसता इंडिया निभा रहा है भाईचार

पुन: स्मरण करें आज . . . . .

स्तन कटे माताओं-बहनों के
युवती बाला बालिका करतीं चीत्कार
धरती से उखड़ गए धरती के लाल
व्यर्थ रही गूँजती चीख-पुकार
और यह अंत नहीं था नासूर का
फैलता अंग-अंग धरता स्वआधार
निर्लज्ज हत्यारिन कानी यह सत्ता
बापू चाचा दोनों हुए सवार

पुन: स्मरण करें आज . . . . .

जब जेहलम का रंग लाल हुआ
छिन गया गुरु का ननकाना
ढाकेश्वरी पुत्रों के रक्त से नहा गई
रामसुत का लवपुर हो गया बेगाना
दुर्जनों को आँच लगी जब लगने
खिलाफती खेल खेल गया मनमाना
कुत्सित अँधी वासना का कीड़ा
सब सत्ताधीशों का जाना-पहचाना

पुन: स्मरण करें आज . . . . .

आग लगी रावी चिनाब के पानी में
बुझी नहीं अभी है जल रही
भूखी-प्यासी जनता बेचारी
वादों के अंगारों पर चल रही
अभी रात शेष है अंधियारी
यह बात हवा ने कल कही
यह जो दिख रहा प्रकाश है
सपनों की चिता है जल रही

पुन: स्मरण करें आज . . . . .

चमड़ी का रंग बदला सत्ताधीशों का
धरा तप रही अभी कैसे चरण धरें
विश्वगुरु को लांछित कर रही
पामारों की रीति-नीति का वरण करें
हम दास कभी थे औरों के
इसी कारण पुन:-पुन: स्मरण करें
विषैली मन:स्थिति जो दासता की
सबसे पहले इसका मरण करें

पुनः स्मरण करें आज . . . . .

भाषा-भूषा सब स्वदेशी हो
माँ भारती के गीत गाएं हम
हिंदी हैं हम वर्ण कर्मानुसार
सागर की लहरों-से मिल जाएं हम
जो कट गए जो बंट गए
वो सब वापिस लौटाएं हम
न कुरेदें रिसते ज़ख़्मों को
राम का राजतिलक-दिवस मनाएं हम . . . !

पुन: स्मरण करें आज . . . . . !

#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२

Language: Hindi
218 Views

You may also like these posts

सांता क्लॉज आया गिफ्ट लेकर
सांता क्लॉज आया गिफ्ट लेकर
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
ग़म बहुत है दिल में मगर खुलासा नहीं होने देता हूंI
ग़म बहुत है दिल में मगर खुलासा नहीं होने देता हूंI
शिव प्रताप लोधी
उसकी ख़ामोश आहें
उसकी ख़ामोश आहें
Dr fauzia Naseem shad
चला आया घुमड़ सावन, नहीं आए मगर साजन।
चला आया घुमड़ सावन, नहीं आए मगर साजन।
डॉ.सीमा अग्रवाल
हमारी रूह ले गए हो।
हमारी रूह ले गए हो।
Taj Mohammad
हम सीवान के लड़के हैं
हम सीवान के लड़के हैं
Nitu Sah
रावण जी को नमन
रावण जी को नमन
Sudhir srivastava
"प्रेम कर तू"
Dr. Kishan tandon kranti
आखरी मुलाकात
आखरी मुलाकात
पूर्वार्थ
वक़्त
वक़्त
विजय कुमार अग्रवाल
I love you Shiv
I love you Shiv
Arghyadeep Chakraborty
श्रंगार लिखा ना जाता है– शहीदों के प्रति संवेदना।
श्रंगार लिखा ना जाता है– शहीदों के प्रति संवेदना।
Abhishek Soni
❤️एक अबोध बालक ❤️
❤️एक अबोध बालक ❤️
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जी.आज़ाद मुसाफिर भाई
जी.आज़ाद मुसाफिर भाई
gurudeenverma198
एकाधिकार
एकाधिकार
अंकित आजाद गुप्ता
*** अंकुर और अंकुरित मन.....!!! ***
*** अंकुर और अंकुरित मन.....!!! ***
VEDANTA PATEL
इंतजार करते रहे हम उनके  एक दीदार के लिए ।
इंतजार करते रहे हम उनके एक दीदार के लिए ।
Yogendra Chaturwedi
चल चित्र का संसार
चल चित्र का संसार
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
खींचकर हाथों से अपने ही वो सांँसे मेरी,
खींचकर हाथों से अपने ही वो सांँसे मेरी,
Neelam Sharma
शिव शंभू भोला भंडारी !
शिव शंभू भोला भंडारी !
Bodhisatva kastooriya
1222   1222   1222   1222
1222 1222 1222 1222
Johnny Ahmed 'क़ैस'
भोर काल से संध्या तक
भोर काल से संध्या तक
देवराज यादव
मन करता है नील गगन में, पंछी बन उड़ जाऊं
मन करता है नील गगन में, पंछी बन उड़ जाऊं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
4124.💐 *पूर्णिका* 💐
4124.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मेरा भाग्य और कुदरत के रंग..... मिलन की चाह
मेरा भाग्य और कुदरत के रंग..... मिलन की चाह
Neeraj Agarwal
मातृभाषा हिंदी
मातृभाषा हिंदी
Nitesh Shah
दोहे - डी के निवातिया
दोहे - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
..
..
*प्रणय*
देवताई विश्वास अंधविश्वास पर एक चिंतन / मुसाफ़िर बैठा
देवताई विश्वास अंधविश्वास पर एक चिंतन / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
Loading...