बेबसी
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
*शादी से है जिंदगी, शादी से घर-द्वार (कुंडलिया)*
अपने नसीब पर रोने के बजाय हमें अपने कर्म पर श्रद्धा और ध्यान
तुझ से बस तेरा ही पता चाहे
लोग आपके प्रसंसक है ये आपकी योग्यता है
मै (अहम) का मै (परमात्मा) से साक्षात्कार
गर्मी की छुट्टियों का होमवर्क
डॉ. नामवर सिंह की रसदृष्टि या दृष्टिदोष
पढी -लिखी लडकी रोशन घर की