“बिहार की गाथा”(अभिलेश श्रीभारती)

बिहार को अपनी भद्दी, गंदी, सड़ी हुई जुवान से गलीयाने वाली मोहतरमा मैडम जरा ध्यान से सुनिए और पढ़िएगा।
बिहार क्या है, आज हम आपको बताते हैं।
कुर्सी के पेटीकोट बांध लीजिएगा मैडम
महान बिहार के महान गाथा सुनाते हैं।
धरा बिहार की पुण्य भूमि, वीरों की है खान,
गौतम बुद्ध, महावीर जैसे, सत्य अहिंसा के है पहचान।
राजेंद्र प्रसाद का त्याग देखो, देखो राष्ट्र को दिया सम्मान,
संविधान के प्रथम रक्षक बनकर देश को दिया नेतृत्व महान।
जयप्रकाश की क्रांति गूंज से जब तानाशाही डोल उठी,
समाजवाद की जोत जलाकर, नव रोशनी खोल उठी।
दानवीर कर्ण की गाथा देखो आज भी है जो अमर कहानी,
सम्राट अशोक की शौर्यगाथा से, परिचित कराते दादी नानी
दशरथ मांझी ने पहाड़ चीरकर, बना दिया था राह,
संकल्प अगर दृढ़ हो मन में, मिट जाती हर डाह।
दशरथ मांझी ने पहाड़ काटकर, राह नई बनाई थी,
संकल्पों की ताकत क्या है, यह दुनिया को समझाई थी।
वीर कुँवर सिंह की तलवारें देखो, गोरों पर जब कहर बनी,
अस्सी की अंतिम उम्र में उनकी हिम्मत अमर बनी।
लोकनायक की बातें सुनकर, जब जाग उठा था पूरा देश,
जन-जन को अधिकार दिलाने, किया जिसने संघर्ष विशेष।
बिहार की धरती शौर्य भूमि, ज्ञान और बल की खान,
महापुरुषों की इस धरा को, कोटि-कोटि प्रणाम!
नहीं समझ पाएगी मैडम, अमर बिहार की गाथा को,
भरी हुई है गंदगी सर में, चाहे पीटो माथा को।
✍️ कविता ✍️
Abhilesh sribharti अभिलेश श्रीभारती सामाजिक,शोधकर्ता, विश्लेषक,