क्या बोले थे तुम !

बहुत बुरे हो तुम !
छोड़ के जो मुझे जा रहे हो,
भर भर के आंखों में आँसू,
मुझे तुम रुला रहे हो।
सोचा नहीं था मैने,
प्रीत का बंधन जब जोड़ा था,
सिर्फ तन से नहीं मन से भी,
तुम्हे अपना मैने मान लिया।
जीवन तुमसे ही जोड़ा है,
खुद को तुम पे खोया है,
एक बात बता दो तुम मुझको,
जिऊंगी कैसे अब तेरे बिन।
रात भर की ये बात नहीं,
एक पल जीना है बड़ा मुश्किल,
तारे गिन गिन नहीं जीना है,
जुदा होकर नहीं रहना है।
तुम अगर नहीं मानोगे,
रूठ बैठ अब जाऊंगी चौखट पर,
वादा तुम जो कर दो मुझे,
लौट आओगे आँख खुले जब।
तेरे यादों के सहारे ये गम सह लूंगी,
सपना समझ जुदाई भुला दूँगी,
आलिंगन अब कर के मुझको,
लौट आने का एहसास जता दो ना।
भटकोगे नहीं कहीं इधर उधर,
याद रख कर ये रखना,
क्या बोले थे तुम मुझको,
ये गाँठ बाँध कर है तुम रखना।
रचनाकार _
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।