सामाजिक परिवेश में, रखिए खुद को ढाल। सामाजिक परिवेश में, रखिए खुद को ढाल। बोली, भाषा, दृष्टि सँग, हो मर्यादित चाल।। ✍️अरविन्द त्रिवेदी