Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Aug 2024 · 1 min read

पानी की बूँदे

रिम-झिम छलक रही है बूँदे ,
चारो और अंँधेरा छा रहा था ।
आकाश में बिजली चमक रही है ,
चारों तरफ पानी-पानी ही देखाई दे रहा है ।
बदलो की ग़ज़ल,
बिजली की तड़प बहुत है ।
जब बू़ँद-बुँद पानी को तरसे,
तब पानी ही ना मिले ।
मेंढक कूद रहे हैं छल-छल पानी में ,
शीतल सी हवा चल रही है ।
रिम-झिम करके पानी आया ,
सुहाना मोसम हो रहा था ।
बच्चे-बूढे खिल-खिला रहे थे,
कहीं-न-कहीं मोर नाच रहे थे ।
बादल आकाश को घिर के चल रहे,
कभी-कभी लगता है बूँद बहुत सुहानी है।
फसल हमारी लेहरायेगी इस तरह ,
हिलाते-डुलते बादल आए,
इधर से उधर साथ अपने पानी की बूँदे लाया ।

1 Like · 108 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

जिद शत्रु बन जाता है,
जिद शत्रु बन जाता है,
Buddha Prakash
गर्मी की छुट्टी
गर्मी की छुट्टी
Ayushi Verma
मचलने लगता है सावन
मचलने लगता है सावन
Dr Archana Gupta
ख़ुद्दारी
ख़ुद्दारी
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
सुरभित - मुखरित पर्यावरण
सुरभित - मुखरित पर्यावरण
संजय कुमार संजू
तक़दीर शून्य का जखीरा है
तक़दीर शून्य का जखीरा है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
बचपन
बचपन
Sakhi
अनाथों की आवश्यकताएं
अनाथों की आवश्यकताएं
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
गीत
गीत
Jai Prakash Srivastav
अब हर्ज़ क्या है पास आने में
अब हर्ज़ क्या है पास आने में
Ajay Mishra
दण्डकारण्य
दण्डकारण्य
Dr. Kishan tandon kranti
गिरगिट को भी अब मात
गिरगिट को भी अब मात
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
"हिंदी साहित्य रत्न सम्मान - 2024" से रूपेश को नवाज़ा गया'
रुपेश कुमार
कहते- कहते रह गया,
कहते- कहते रह गया,
sushil sarna
आए थे बनाने मनुष्य योनि में पूर्वजन्म की बिगड़ी।
आए थे बनाने मनुष्य योनि में पूर्वजन्म की बिगड़ी।
Rj Anand Prajapati
सावन का महीना
सावन का महीना
Dr. Vaishali Verma
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
🙅FACT🙅
🙅FACT🙅
*प्रणय प्रभात*
जिंदगी की राहे बड़ा मुश्किल है
जिंदगी की राहे बड़ा मुश्किल है
Ranjeet kumar patre
4079.💐 *पूर्णिका* 💐
4079.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
शायद मेरी क़िस्मत में ही लिक्खा था ठोकर खाना
शायद मेरी क़िस्मत में ही लिक्खा था ठोकर खाना
Shweta Soni
तुम कहते हो राम काल्पनिक है
तुम कहते हो राम काल्पनिक है
Harinarayan Tanha
बिन पानी के मर जायेगा
बिन पानी के मर जायेगा
Madhuri mahakash
दिसम्बर की सर्द
दिसम्बर की सर्द
Dr fauzia Naseem shad
अपने लक्ष्य पर त्राटक कर।
अपने लक्ष्य पर त्राटक कर।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
तो क्या हुआ
तो क्या हुआ
Sûrëkhâ
यादें
यादें
Tarkeshwari 'sudhi'
गर्मी की छुट्टियां
गर्मी की छुट्टियां
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
कृष्ण
कृष्ण
Chaahat
प्रीतम दोहावली
प्रीतम दोहावली
आर.एस. 'प्रीतम'
Loading...