Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Aug 2024 · 1 min read

पानी की बूँदे

रिम-झिम छलक रही है बूँदे ,
चारो और अंँधेरा छा रहा था ।
आकाश में बिजली चमक रही है ,
चारों तरफ पानी-पानी ही देखाई दे रहा है ।
बदलो की ग़ज़ल,
बिजली की तड़प बहुत है ।
जब बू़ँद-बुँद पानी को तरसे,
तब पानी ही ना मिले ।
मेंढक कूद रहे हैं छल-छल पानी में ,
शीतल सी हवा चल रही है ।
रिम-झिम करके पानी आया ,
सुहाना मोसम हो रहा था ।
बच्चे-बूढे खिल-खिला रहे थे,
कहीं-न-कहीं मोर नाच रहे थे ।
बादल आकाश को घिर के चल रहे,
कभी-कभी लगता है बूँद बहुत सुहानी है।
फसल हमारी लेहरायेगी इस तरह ,
हिलाते-डुलते बादल आए,
इधर से उधर साथ अपने पानी की बूँदे लाया ।

1 Like · 59 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

दिल में
दिल में
Dr fauzia Naseem shad
রাধা মানে ভালোবাসা
রাধা মানে ভালোবাসা
Arghyadeep Chakraborty
यादें तुम्हारी... याद है हमें ..
यादें तुम्हारी... याद है हमें ..
पं अंजू पांडेय अश्रु
स्वाद बेलन के
स्वाद बेलन के
आकाश महेशपुरी
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-139 शब्द-दांद
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-139 शब्द-दांद
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मां
मां
Phool gufran
प्यार की खोज में
प्यार की खोज में
Shutisha Rajput
सर्दी रानी की दस्तक
सर्दी रानी की दस्तक
ओनिका सेतिया 'अनु '
पापा
पापा
Dr Archana Gupta
SC/ST HELPLINE NUMBER 14566
SC/ST HELPLINE NUMBER 14566
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
గురువు కు వందనం.
గురువు కు వందనం.
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
- सच्ची अनुभूति -
- सच्ची अनुभूति -
bharat gehlot
नारी सम्मान
नारी सम्मान
Sanjay ' शून्य'
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
हमें पदार्थ से ऊर्जा और ऊर्जा से शुद्ध चेतना तक का सफर करना
हमें पदार्थ से ऊर्जा और ऊर्जा से शुद्ध चेतना तक का सफर करना
Ravikesh Jha
भवन तेरा निराला
भवन तेरा निराला
Sukeshini Budhawne
मनीआर्डर से ज्याद...
मनीआर्डर से ज्याद...
Amulyaa Ratan
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
Sudhir srivastava
स्रग्विणी वर्णिक छंद , विधान सउदाहरण
स्रग्विणी वर्णिक छंद , विधान सउदाहरण
Subhash Singhai
बुदबुदा कर तो देखो
बुदबुदा कर तो देखो
Mahender Singh
"ज्ञान रूपी आलपिनो की तलाश के लिए चूक रूपी एक ही चुम्बक काफ़ी
*प्रणय*
गहरे ध्यान में चले गए हैं,पूछताछ से बचकर।
गहरे ध्यान में चले गए हैं,पूछताछ से बचकर।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
पत्नी   से   पंगा   लिया, समझो   बेड़ा  गर्क ।
पत्नी से पंगा लिया, समझो बेड़ा गर्क ।
sushil sarna
पुरुष कठोर होते नहीं
पुरुष कठोर होते नहीं
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
कविता: सजना है साजन के लिए
कविता: सजना है साजन के लिए
Rajesh Kumar Arjun
3278.*पूर्णिका*
3278.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बाबा भक्त हास्य व्यंग्य
बाबा भक्त हास्य व्यंग्य
Dr. Kishan Karigar
Together we can be whatever we wish
Together we can be whatever we wish
पूर्वार्थ
"आत्मा के अमृत"
Dr. Kishan tandon kranti
गरिबी र अन्याय
गरिबी र अन्याय
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
Loading...