महान कहूं इसे भगवान कहूं या कहूं फरिश्ता ।

महान कहूं इसे भगवान कहूं या कहूं फरिश्ता ।
ममत्व _ अपनत्व का होता इनमें प्यारा रिश्ता ।
यह आदिशक्ति है _नारी बिन नहीं सृष्टि है ।।
कमजोर जो इनको माने _ शक्ति न इनकी जाने ।
यम से भी लड़ जाती _ पति के प्राण बचाने ।।
त्याग समर्पण की करती सदा ही वृष्टि है ।
यह आदि शक्ति है _ नारी बिन नहीं सृष्टि है ।।
**अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभ कामनाएं **
राजेश व्यास अनुनय