होली गीत ।। रचनाकार : अरविंद भारद्वाज

समा रंगीन है यारो, भरो खुशियों की तुम झोली
हाथ में ले के पिचकारी, खेलते है यार होली
मिटा दो दूरियाँ दिल की, लगा के रंग गालों पर
रंगारंग ज़िन्दगी कर दो, शक्ल जिनकी लगे भोली
गुब्बारे पानी से भरकर, रंग उनमें मिला लो यार
बैर पाले जो बैठे है, जरा दे दो उन्हें भी प्यार
जमा दो रंग महफिल में, खिला कर पान की गोली
हाथ में ले के पिचकारी, खेलते हैं यार होली
तिलक करके बड़ों को तुम, उन्हें आदर सदा देना
हाथ रख देंगे सिर पर वो, चरण वन्दन भी कर लेना
साथ ले लो सभी को तुम, बनाओ यारों की टोली
हाथ में ले के पिचकारी, खेलते है यार होली
झूमते नाचते गाते, सभी से मिल के तुम आना
इलाका रंग से तेरा, लगे जैसे हैं बरसाना
बढ़ाओं प्यार अपनों से, कलम अरविन्द की बोली
हाथ में हो के पिचकारी, खेलते है यार होली
© अरविन्द भारद्वाज