मैं बैरवा हूँ

(शेर)- बहाता हूँ पसीना मैं भी, अपनी मेहनत की खाता हूँ ।
देशभक्ति है मेरे लहू मैं भी, फर्ज वतन का भी निभाता हूँ।।
लेकिन नहीं है पसंद मुझको गुलामी, स्वाभिमानी हूँ मैं।
हाँ, मैं हूँ बैरवा समाज, मैं जुल्मियों से भी टकराता हूँ।।
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करे दूर दर्द दुःखियों के, मैं वह दवा हूँ।
फैलाये मोहब्बत देश में, मैं वह हवा हूँ।।
सुनों यारों वह समाज, मैं बैरवा हूँ।—(2)
करें दूर दर्द दुःखियों के ——————-।।
नहीं गुमनाम कहो मुझको, एक इतिहास है मेरा।
देश की आजादी में भी, योगदान है मेरा।।
देशभक्ति की खुशबू , बिखेरता एक हवा हूँ।
सुनों यारों वह समाज, मैं बैरवा हूँ।—(2)
करें दूर दर्द दुःखियों के ——————।।
अपना मैं पेट भरता हूँ , सच्ची मेहनत- ईमान से।
करता हूँ मोहब्बत देश से, सच्चे दिलो- जान से।।
वतन पर जान से फिदा, मैं एक कारवां हूँ।
सुनों यारों वह समाज, मैं बैरवा हूँ।—(2)
करें दूर दर्द दुःखियों के ——————-।।
गुलामी नहीं पसंद मुझको, जी.आज़ाद हूँ मैं भी।
शिक्षित और स्वाभिमानी हूँ , यहाँ आबाद हूँ मैं भी।।
जुल्मियों को धूल चटाने वाला, मैं शेर सवा हूँ।
सुनों यारों वह समाज, मैं बैरवा हूँ।—(2)
करें दूर दर्द दुःखियों के ——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी. आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)