Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
गुमनाम 'बाबा'
25 Followers
Follow
Report this post
29 Aug 2024 · 1 min read
दोहा
दोहा
मुझको उसमें लग गयी, ऐसी गहरी प्रीत।
उसके अवगुण-दोष भी, लगते मुझको मीत।।
-दुष्यंत ‘बाबा’
Tag:
Quote Writer
Like
Share
114 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
You may also like these posts
बाल कविता: मेरा कुत्ता
Rajesh Kumar Arjun
नव बहूँ
Dr. Vaishali Verma
😊नीचे ऊंट पहाड़ के😊
*प्रणय*
याद - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
“To improve your writing, read more.
पूर्वार्थ
*होली में लगते भले, मुखड़े पर सौ रंग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आए थे बनाने मनुष्य योनि में पूर्वजन्म की बिगड़ी।
Rj Anand Prajapati
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
अभी बाकी है
Vandna Thakur
मुद्रा नियमित शिक्षण
AJAY AMITABH SUMAN
- महफूज हो तुम -
bharat gehlot
द्रौपदी का रोष
Jalaj Dwivedi
सखि री!
Rambali Mishra
मुझे हर वक्त बस तुम्हारी ही चाहत रहती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दिल समझता नहीं दिल की बातें, - डी. के. निवातिया
डी. के. निवातिया
माँ सरस्वती
Mamta Rani
श्रीराम
Neelam Sharma
चाहत थी कभी आसमान छूने की
Chitra Bisht
* चलते रहो *
surenderpal vaidya
बाप की चाह
Ashwini sharma
Chalo phirse ek koshish karen
Aktrun Nisha
*तुम न आये*
Kavita Chouhan
3904.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
हम अपनों से न करें उम्मीद ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
मुक्ति
Amrita Shukla
जिन्दगी पहलू नहीं पहेली है।
Pratibha Pandey
कठिन समय आत्म विश्लेषण के लिए होता है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
"अदा "
Dr. Kishan tandon kranti
योगा मैट
पारुल अरोड़ा
दुःख और मेरे मध्य ,असंख्य लोग हैं
Ritesh Deo
Loading...