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19 Feb 2024 · 1 min read

गजल सगीर

करते हैं शबो रोज तमाशा मेरे आगे।
चलता नही है ज़ोर किसी का मेरे आगे।
❤️
हिर्स ओ हवस का नही कायल है मेरा दिल।
चलता नही किसी का भी सिक्का मेरे आगे।
❤️
मेरे कलम में ऐसी है ताक़त की सुनो बस,
चांदी न कोई सोना न हीरा मेरे आगे।

Language: Hindi
1 Like · 172 Views

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