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28 Feb 2025 · 1 min read

221 2122 221 2122

221 2122 221 2122
जन्नत न समझो दुनियाँ को तुम फ़रेब समझो
खुदको ग़रीब समझो उसको क़रीब समझो

लेखक – ज़ुबैर खान……✍️

28 Views
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