221 2122 221 2122

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जन्नत न समझो दुनियाँ को तुम फ़रेब समझो
खुदको ग़रीब समझो उसको क़रीब समझो
लेखक – ज़ुबैर खान……✍️
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जन्नत न समझो दुनियाँ को तुम फ़रेब समझो
खुदको ग़रीब समझो उसको क़रीब समझो
लेखक – ज़ुबैर खान……✍️