अरे ! वो चाय, बड़ी दिल वाली थी,

अरे ! वो चाय, बड़ी दिल वाली थी,
मासूम-सी मगर कड़क,
उसने इक किरदार को ऐसे मजनूं बना लिया
कि उस चाय का काफिला हररोज उसकी गलियों से गुजरने लगा |
~जितेन्द्र कुमार “सरकार”
अरे ! वो चाय, बड़ी दिल वाली थी,
मासूम-सी मगर कड़क,
उसने इक किरदार को ऐसे मजनूं बना लिया
कि उस चाय का काफिला हररोज उसकी गलियों से गुजरने लगा |
~जितेन्द्र कुमार “सरकार”