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22 Feb 2025 · 9 min read

डेढ़ दीन्हा प्यार

एक दिन की बात है कि एक ऐसे नम्बर से कॉल आया जिसकी अपेक्षा हमने नहीं की थी। हमने नमस्ते बोला, वह राधे-राधे बोली। हालांकि मेरे आदत में है कि जब भी हम फोन करते या कॉल उठाते है तो नमस्ते बोलकर सामने वाले का अभिवादन करता हूं। चाहे वह उम्र में बड़े हो, बराबर का हो या छोटा हो।

फिर बातें शुरू हुई। इस बात के क्रम में हमें उनके बातों से लगा कि वह घबराई हुई है। किसी दर्द की मारी हुई है। वह किसी दर्द से कराह रही है। वह इशारों-इशारों में बता रही है पर खुलकर नहीं बताना चाहती है। मैंने बार-बार पूछने की कोशिश की पर वह नाकारती रही। फिर मैंने उनके बातों से अनुभव लेते हुए उनको समझने लगा। फिर उसने कहा कि आप तो एकदम उसी के जैसे सोच रहे हैं जैसे वह मेरे बारे में सोचता था। जो आप समझा रहे है, वही वह भी हमको समझाया करता था। फिर मैंने कहा अगर इतना हमारी उनकी बातें मिल रही है तो जरा हमें भी बताएं, आपकी कहानी क्या रही है? वह व्यक्ति कौन रहा है? फिर बेचारी बोली, ठीक है तो आप इतना जोर दे रहे है तो बता ही देती हूं। पर शर्त यह है कि किसी से बताइएगा मत।

मैं हमेशा की तरह चंचल सी, नटखट सी हरकत करने वाली, सभ्य और संस्कृति का ख्याल रखने वाली, यूंही कॉलेज में खड़ी हूं। तभी मुझे महसूस हुआ की कोई मुझे फॉलो कर रहा है और लग रहा है यह बहुत दिन से फॉलो कर रहा है। हमारे हर गतिविधि पर ध्यान रख रहा है। फिर भी मैंने इस तरह के चीजों का ज्यादा महत्व नहीं दी जैसे अन्य चीजों पर नहीं दिया करती हूं क्योंकि बहुत सारे लड़के ऐसे ही होते हैं जो अपने प्रेम जाल में फंसाने के लिए इस तरह के हरकतें करते हैं। पर यह लड़का देखने में अच्छा लग रहा है, सुंदर है, मासूम सा चेहरा इसका प्यारा सा लगता है। ऐसे अन्दर से अनुभूति हो रही है। पर इसके बारे में मैं ज्यादा कुछ नहीं जानती हूं क्योंकि यह मेरे सेक्शन का नहीं है।

कॉलेज की छुट्टी होने के बाद जब मैं अपने डेरा पर गई तो मेरी सहेली ही उसके बारे में हमसे बातें करने लगी। उसकी तारीफ करने लगी। वह बताने लगी कि वह तुझे बहुत चाहता है। वह तुझे पसंद करता है। वह तुझसे प्यार करता है। वह तेरी तारीफे बहुत करता है। पर मैं अपनी तारीफों से प्रभावित होने वाली में से नहीं हूं। इसीलिए मैं इन सारे बातों पर ध्यान नहीं दी और जैसे निरंतर अपने कामों में व्यस्त रहती हूं वैसी बनी रही।

मुझे अपनी सहेली के बातों से लगा कि कहीं ना कहीं वह मुझे बहुत चाह रहा है क्योंकि इतनी जो तारीफ उसके सामने करता है। पर मेरे सामने मेरी तारीफ कभी नहीं किया और नहीं मुझे सामने से कभी प्रपोज किया। फिर मुझे लगा कि प्रपोज करने की हिम्मत नही है उसमें। क्योंकि मैं कॉलेज की सबसे स्ट्रीक्ट लड़की रही हूं। शायद इसीलिए वह डर रहा है कि कहीं गुस्सा की, मना कर दी या किसी से कह दिया तो! इसलिए वह मेरी सहेली को फोर्स करता है। हमे, उसके लिए मनाने का और शायद रिस्पेक्ट भी उसके लिए मायने रख रही है। कहीं कोई जान गया तो बदनामी होगी।

मैं पूरे कॉलेज की लड़कियों में से स्ट्रीक्ट लड़की मानी जाती हूं। पर पता नहीं इसके ऊपर मैं क्यों नहीं स्ट्रीक्ट हो पाई? कुछ देर सोचा। सोचते वक्त मेरे मन में ख्याल आया कि क्या मैं ही केवल वैराग्य जीवन का वीणा उठाई हूं? क्या मुझे किसी से प्यार नहीं हो सकता है? क्या मुझे कोई पसंद नहीं कर सकता है? आरे भाई, मैं भी इंसान हूं। मुझे भी किसी से प्यार हो सकता है। मैं भी किसी से प्यार कर सकती हूं। इसमें कौन सी बड़ी बात है।

उसके बाद देखा कि मेरी सहेली उसके बारे में अच्छी-अच्छी बातें कह रही है। लड़का अच्छा है। ऐसा है, वैसा है। मतलब उनके मुंह से लड़के का हमेशा तारीफ ही सुनती हूं। उसके बाद सहेली ने ही बतायी कि वह पहले किसी और से प्यार किया था पर उधर से उसको धोखा मिला है। पर वह अब तुमको चाहता है और तुम्हारी बहुत ही रिस्पेक्ट करता है। तुम्हारे बारे में बहुत अच्छा सोचता है। तुम्हारी तारीफ करता है। इस तरह से वह मुझसे कहने लगी। अभी तक उसका कोई बुराई नहीं सुनी हूं। किसी के प्यार में धोखा खाया सुनकर के थोड़ा उसके प्रति सिंपैथी हुई। जिससे मेरी झुकाव धीरे-धीरे उसके तरफ होने लगी है।

बस, पूछना क्या है? उसके बर्थडे का मुझे खबर लगी मैंने हिंदी में कुछ वाक्य लिख करके व्हाट्सएप पर विश कर दी। इतना में वह दंडवत प्रणाम वाला इमोजी भेज करके अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि मेरा जन्मदिन आपकी वजह से विशेष बन गया। इस तरह से दोनों तरफ से व्हाट्सएप चैटिंग, फोन कॉल्स के माध्यम से बातें शुरू हुई और यह बातें प्यार वाली बातों में धीरे-धीरे बदल गई। बातें होते-होते धीरे-धीरे मैं उसके प्यार में डूब गई हूं।

वह कहता है। फीलिंग्स मायने रखते हैं, शब्द नहीं।फीलिंग्स एक्सप्रेस नही कर पाते है हम, ऐसा कहता है। हां, पर किसी चीज के लिए कोई दबाव नहीं बनाया।

अभी हम उसको फोन पर बता रही हूं। दूसरे शब्दों में कहूं तो धमका रही हूं कि बाबू सोना मुझसे प्यार कर रहे हो तो सिर्फ मुझसे ही प्यार करना। अगर इस बीच कोई और पसंद आ जाए या कोई बात हो तो बिना सोचे मुझ से बता देना। उसके लिए कोई दिक्कत नहीं होगी हमें। वरना “बिन बतवले दोसरा के चक्कर में पड़लऽ तऽ बड़ी मार खइबऽ”।

उसका तो पता नहीं कि वह मुझसे कितना प्यार कर रहा है? पर मैं अब उसके प्यार में डूब गई हूं। अभी एक दिन बातें नहीं कर पा रही हूं, व्हाट्सएप चैटिंग नहीं कर पा रही हूं तो मेरा मन सूना – सूना सा लग रहा है। पढ़ाई से मन उठ गया है। बस इंतजार कर रही हूं तो उसके एक कॉल्स का, उसके एक व्हाट्सएप चैटिंग का। कि कभी तो थोड़ा सा मैसेज कर दे अपने तरफ से। कई घंटे से व्हाट्सएप चैटिंग का ऑनलाइन हो करके इंतजार कर रही हूं। ऑनलाइन तो दिखा रहा है पर मेरी तरफ एक भी मैसेज नहीं आ रहा है। उनके व्हाट्सएप चैटिंग, फोन कॉल्स का इंतजार करने के बाद दिल सब्र खो बैठा है तो फिर इधर से मैं खुद फोन की हूं और बातें कर रही हूं। अब जाकर के मेरे दिल को सुकून मिलें हैं।

आज फिर से उनके व्हाट्सएप चैटिंग्स और फोन कॉल्स के इंतजार में मेरा दिल रुठा हुआ है। कभी से इंतजार में हूं कि कब फोन कॉल्स या व्हाट्सएप मैसेज आएगा? कोई भी मैसेज नहीं आ रहा है। नहीं फोन आ रहा है। मेरा दिल घबरा रहा है। मैं रो रही हूं। आंख से आंसू गिर रहे हैं। मैं अपने आप को समझा नहीं पा रही हूं। मैं उनके प्यार में बहुत डूब गई हूं। मैं अपने होशो हवास खो चुकी हूं। केवल उनसे एक कॉल बात करने के लिए… हार पाचकर मैं इधर से फोन की हूं। फोन उठाते ही वह मुझे समझा रहा है। कि मैं जिस अर्पि से प्यार करता हूं वह अर्पि – अर्पि ही ना रही, तो अब हम किससे प्यार करूं? मैं तुम्हारी बातों से, तुम्हारी संस्कारों से, तुम्हारी रहन-सहन से प्यार करता हूं। पर तू अपना सारा चीज भूल गई, खो बैठी, तो मैं कैसे प्यार करूं? मैं रोते हुए बोली, पर मुझे यह कुछ नहीं सुनना है। मैं तुमसे प्यार करती हूं। तुम्हारे सिवा किसी और की जगह मेरे दिल में नहीं है। तुम्हें पता है! मेरा रो-रो कर क्या हाल हुआ है?

हेलो! अर्पि, अरे यार! तू सच में रोने लगी। फिर वह घबराई सी लंबी सी सांस ली और बोली,
पता नहीं कि वह मेरी फिलिंग्स को समझता है कि नहीं। जैसे मेरी आंखों से आंसू गिर रहे हैं, वैसे उसकी आंखों से आंसू गिरते हैं कि नहीं। पर वह एक ही बात कहता है कि मेरे पास इतना समय नहीं है। मैं इतना समय नहीं दे सकता हूं। तुम अपनी पढ़ाई करो। मुझे भी पढ़ने दो। मुझे तो यह समझ में नहीं आ रहा है कि क्यों यह मुझे मना कर रहा है? शुरुआत इसी ने किया और जब मैं इसके प्यार में डूब गई हूं तो यह खुद मना करना शुरू कर दिया है। जो लड़की कभी किसी के तरफ देखा तक नहीं, किसी को चाहा तक नहीं, कॉलेज में सबसे स्ट्रीक्ट रहती थी। आज वैसे लड़की को दूसरा व्यक्ति ठुकरा रहा है।

अब मुझे शक होने लगा। शायद किसी और के चक्कर में हैं या मैंने जो शुरुआत में धमका दिया था इसलिए शायद वह डर गया है। मैं यहां तक उसे कहा कि मैं वैसे लड़कियों में से नहीं हूं कि जिससे प्यार करु उससे खर्च कराऊं। मेरे प्यार के लिए तुम कितना गरीब हो या अमीर हो यह मायने नहीं रखता है? तुम किस जाति के हो यह भी मायने नहीं रखता है? पर मैं तुमसे प्यार करती हूं और तुने शुरू किया है तो मुझसे प्यार करो।

लेकिन बार-बार उसके तरफ से एक ही बात कही जाने लगी कि ऐसा मत करो। तुम जितना टूट गई हो। जितना प्यार में डूब गई हो। उतना अगर मेरे जगह पर कोई और होता तो तुम्हारे प्यार का गलत फायदा उठाता। पर मैं यह नहीं चाहता हूं इसलिए मैं तुम्हें बार-बार समझा रहा हूं। तुम्हारी अच्छाई के लिए अब मैं तुम्हारी नजरों में भले ही बुरा बन जाऊं पर अब तुमसे बात नहीं करूंगा। चाहे तू मेरे बारे में कुछ भी सोचना। इतना कहने के बाद उन्होंने फोन कट किया। उसके बाद से व्हाट्सएप चैटिंग और फोन कॉल्स दोनों तरफ से बंद हो गई।

शायद हम खुद से दूर हो रहे थे इसलिए वह हमसे दूर हो गया। सबका कारण वह खुद को मानने लगा था। पढ़ने वाली को प्यार के चक्कर में डाल दिया ऐसा अपने आपको कहने लगा था। क्योंकि हम प्यार में एक दूसरे की ताकत होंगे, कमजोरी नहीं, हमने ही कहा था और हम ही भूल गए। उसे अपनी कमजोरी बना लिया। वो तो बस याद दिलाया हमे। हमसे ही दूर होके।

मेरा तो अब यहां चैन-वैन सब उड़ गया है। पढ़ाई से मन रूठ गया है। जाऊं तो अब कहां जाऊं? मन को बहलाऊं तो अब कैसे बहलाऊं? यही सोचकर मन उदास रहता है। एक साल हो गया पर मुझे ऐसा आज तक कुछ नहीं हुआ लेकिन मात्र डेढ़ महीने की इस प्यार ने हमें तोड़ के रख दिया।

तभी मैंने कहा अर्पि, प्यार तो किसी एक ही से होता है और एक ही बार होता है। बार-बार होने वाला प्यार को हम प्यार नहीं “लव” कहते हैं अपनी भाषा में। प्यार किसी के शरीर से नहीं होती है और जो प्यार शरीर से होती है, वह प्यार नहीं हवस होती है। प्यार किसी के रुह से होती है, प्यार दिल से होती है, मन से होती है। मैं जानता हूं कि आप उसे भूला नहीं सकती हो। पर प्यार का मतलब यह नहीं है कि वह व्यक्ति सामने रहे, वह हमसे हमेशा बात करें तभी उससे प्यार होता है। प्यार तो वह है, जो कहीं भी रहे हमसे बातें करें या ना करें पर वह अपने जीवन को खुशी-खुशी जिएं, खुशहाल रहे, यही उसके लिए दुआ निकलनी चाहिए। यही असली प्यार है।

दुख है मुझे आपकी ऐसी बेदर्दी प्यार का। लेकिन आप मुझसे क्या चाहती हैं? मैंने कहा। बस फ्रेंडशिप उसने कही और जब मेरी मन ना लगे तो मैं आपसे जब चाहूं तब बातें कर पाऊं। मैंने हां में जवाब देते हुए कहा, ठीक है। जब भी आपको लगे कि मन नहीं लग रहा है तो आप बेधड़क कॉल कर सकती हैं और बात कर सकती हैं। इसी के साथ मैंने कहा, हां, लेकिन कभी भी खुदकुशी करने जैसा हालत मत करना। फिर उन्होंने कहीं अगर कुछ दिन और रुक जाती तो ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती हालांकि मुझे आप याद आए और मुझे लगा कि इस समय मुझे आप से बात करनी चाहिए। तब मैं आपके पास कॉल की।

अच्छा तो अब आप ठीक है न! मैंने कहा। हां, ठीक हूं, उसने कहा। फिर मैंने कहा, बस ऐसे ही ठीक रहना और यही तक ही नहीं, मेरी अगर जरूरत जीवन के किसी भी पड़ाव में पड़े तो बस मेरे नंबर याद रखना और कॉल करके बता देना हो सके तो मैं उस समय भी आपका मदद कर पाऊं। ठीक है, मैं याद करूंगी उसने कही।

अंत में मैं एक लेखक होने के नाते आप सबों से यही कहूंगा कि इस तरीके के “डेढ़ दीन्हा प्यार” से दूर रहे और अपने जीवन को बर्बाद होने से बचाएं। क्योंकि यह प्यार में इतनी टूट गई थी कि इस अवस्था में पहुंचने के बाद बहुत सारे प्रेमी-प्रेमिकाएं डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं और अपने आप को खुदकुशी करने पर मजबूर हो जाते हैं। अब यह तो बहुत रूठ गई है। प्यार के नाम से अब जलती है और इस “डेढ़ दीन्हा प्यार” से अपने आपके जीवन को बर्बाद होने से बचा ली। यह अपने आपको खुश नसीब समझती है। पर आप इतना खुशनसीब होंगे कि नहीं इसलिए आप इस तरह के “डेढ़ दीन्हा प्यार” से बचें।
—–०००—–

@जय लगन कुमार हैप्पी
बेतिया, बिहार।

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