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18 Feb 2025 · 1 min read

बहुत कुछ गँवाते , लगातार चलते !

गज़ल ,

बहुत कुछ गँवाते , लगातार चलते !
बिछड़ते सभी साथ , बेकार चलते !! ..1
💦
ग़मों को यहाँ कौन , कब सींच पाया !
निकल जाते हैं लोग , नाचार चलते !!..2

लहू की ये रंगत को , बदला सा देखा !
गये घर से आश्रम , समाचार चलते !! ..3

फिरा लेते हैं आँख , जाने वो कैसे !
कुड़ी को गिरा कर के , असरार चलते !!….4

बहे अश्क़ वापस , नहीं जा सके हैं !
छिपा कर रखो इनको ,बाज़ार चलते !!…5

दिखा दे वो मंज़िल , निशां राह के सब !
क़दम थक गये ‘नील’ , असफ़ार चलते !!…6

✍नील रूहानी …नीलोफ़र खान ..

असरार _भेद / असफ़ार _ यात्रायें/ नाचार _ निर्बल/
कुड़ी _ बेटी ।

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