कुछ यूं वक्त बदलते देखा है
कुछ यूं वक्त बदलते देखा है
चढ़ता सूरज ढलते देखा है
दौलत की चाहत वाले सुन लें
दौलत को भी चलते देखा है
अपनों के चेहरे कितने बदले
रिश्तों को भी पिघलते देखा है
हमने अक्सर झूठ की गर्मी से
सच्चाई को जलते देखा है
इतने पर भी हाल नहीं बदला
हमने नोट बदलते देखा है
कितने अरमां, कितने ख्वाबों को
आंसू बन कर ढलते देखा है
दर्द भरी कुछ खुशियों के पीछे
अक्सर गम को पलते देखा है
अरशद पहले जैसी बात नहीं
सब को क़ौल बदलते देखा है