जय हनुमान
भूमि पर लेटे हे हनुमान,
कलयुग तारण के हनुमान,
दर्शन की है मेरी भी इच्छा,
मांग रही उमा भिक्षा,
सिर सवार सूर्य किरण,
करूँ कैसे प्रभु सुमिरन,
जो नर लिया तेरा नाम,
पहुँच गया वैकुण्ठ धाम,
कलयुग के तुम तारणहार
सुन लो मेरी व्यथित पुकार,
प्रभुजी दरश को तुम्हारी आई,
प्रहर बीत रही किछ नहीं पाई,
हे मारुत बल बुद्धि के दाता,
हम नर तुम नाथ हो त्राता,
चाहे तुम तो पार उतर गए संता,
न चाहे तो फस गए घोर कंटका
कुटिल पथ के हम हैं गामी,
कृपा करो है अंतर्यामी,
अब और न परीक्षा लीजै,
आगे आय दरश मुझे दीजै।
उमा झा 🙏🙏