मुक्तक

मुक्तक
~~
गौरैया चहक रही देखो, लगती है सबको भली।
नन्हें पंखों को फैलाती, ज्यों खिलती सुन्दर कली।
दाना चुगती फुदक फुदक कर, कहां उसे आराम है।
सबके मन को बहलाती फिर, शोर मचाती उड़ चली।
~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य
मुक्तक
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गौरैया चहक रही देखो, लगती है सबको भली।
नन्हें पंखों को फैलाती, ज्यों खिलती सुन्दर कली।
दाना चुगती फुदक फुदक कर, कहां उसे आराम है।
सबके मन को बहलाती फिर, शोर मचाती उड़ चली।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य