कलयुग का दंश

हजारों साल पहले राजा परीक्षित ने ,
कलयुग को अपने सोने के मुकुट पर
रहने की आज्ञा क्या दे दी ।
कलयुग तो उनके मस्तिष्क पर जा बैठा ,
और राजा अपना जीवन खो बैठे ।
वहीं कलयुग आज भी प्रत्येक मनुष्य के ,
सम्पूर्ण व्यक्तित्व पर नियंत्रण कर रहा है ।
इसी प्रकार सम्पूर्ण संसार का नैतिक पतन हो चुका है ,
सभी अपनी अंतरात्मा खो बैठे ।
और अब विनाश की गर्त पर जा रहे हैं।
सावधान मनुष्य ! ज्ञात नहीं है तुमको ,
भविष्य में यह कलयुग क्या क्या रंग दिखाए ,
जाने और कितने पतन के रास्तों से होते हुए ,
इस तुमको तबाह कर बैठे ।
तुम्हारे कर्म खोटे हो चुके होंगे ,
तुम्हारा भाग्य भी तुमसे रूठ जाए शायद ।
तुम किस प्रकार अपना उद्धार कर सकोगे,
क्योंकि तुम तो अब भी भगवान से दूर हो ,
तब और भी दूर हो जाओगे ।
तुम्हें राजा परीक्षित की तरह पश्चाताप का
अवसर भी न मिलेगा ।
फिर सोचना ” हाय! हम अपने अनमोल जीवन के साथ
यह क्या कर बैठे ।