Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Feb 2024 · 2 min read

स्थितिप्रज्ञ चिंतन

मनुष्य का जीवन विभिन्न उतार- चढ़ाव से युक्त होता है जीवन में सुख-दुःख के पल आते जाते रहते हैं।
विभिन्न परिस्थितियों में मनुष्य का मस्तिष्क भावनाओं से वशीभूत होकर क्रियाशील होने को बाध्य होता है।
इन परिस्थितियों में भावावेश में जो निर्णय लिए जाते हैं, वे कभी-कभी गलत सिद्ध होते हैं , जिसका प्रमुख कारण उन परिस्थितियों में मनुष्य का विवेक शून्य हो जाना है।

कुछ परिस्थितियों में समूह मानसिकता एवं सामाजिक परंपराओं एवं धारणाओ के प्रभाव से परिस्थिति का व्यक्तिगत आकलन करने में त्रुटि की संभावनाएं बढ़ जातीं है , जिसके फलस्वरुप अपरिहार्य हानि होती है।

विभिन्न परिस्थितियों में मानसिक संतुलन की अवस्था बनाए रखना नितांत आवश्यक है ,जो भावनाओं से परे व्यक्तिगत विवेक को जागृत कर सके , क्योंकि भावनाओं के वारिद छँटने पर हमें यह प्रतीत होगा कि हमारे निर्णय विवेकहीन सर्वथा गलत थे।

अतः विपरीत परिस्थितियों में भी भावनाओं पर नियंत्रण रखकर समूह दृष्टिकोण एवं धारणाओं से अप्रभावित रहकर स्थितप्रज्ञ चिंतन की आवश्यकता है, जो उन परिस्थितियों में व्यक्तिगत आकलन हेतु विवेक के प्रयोग से व्यवहारिक निर्णय ले सके, जिससे हमें भविष्य में उन परिस्थितियों में लिए गए निर्णय से पछताना ना पड़े ।

स्थितप्रज्ञ चिंतन के लिए यह आवश्यक है कि हम विभिन्न परिस्थितियों में अपना मानसिक संतुलन बनाए रखें एवं परिस्थिति का आकलन व्यावहारिकता की कसौटी पर करें , जो हमें उस स्थिति में संभावित उपयुक्त निर्णय लेने के लिए प्रेरित कर सके।

निर्णय लेने की प्रक्रिया में संभावित विकल्पों पर विचार करना भी आवश्यक है , जो उस परिस्थिति में हमें उपलब्ध हो सकें।
विकल्पों के चुनाव में हमें विकल्पों को श्रेणीगत रखते हुए विचार करना चाहिए , जो उस स्थिति में आकलन हेतु सटीक सिद्ध हो सकें।

स्थितिप्रज्ञ चिंतन का सर्वथा पूर्वाग्रहों एवं पूर्वानुमानों से मुक्त होना आवश्यक है।
स्थितिप्रज्ञ चिंतन में उन तत्वों का समावेश नहीं होना चाहिए जो अप्रमाणिक हो , अथवा जिनकी प्रमाणिकता संदिग्धता की श्रेणी में आती हो।

यथार्थ की कसौटी पर स्थितप्रज्ञ चिंतन आधारित होना चाहिए, जिसमें काल्पनिकता का लेश मात्र भी अंश ना हो।

स्थितिप्रज्ञ चिंतन में सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों पहलुओं पर विचार कर निर्णय लेना आवश्यक है, जिससे निर्णय को हर संभावित नकारात्मक त्रुटि से निरापद रखा जा सके।

स्थितिप्रज्ञ चिंतन में संभावित हानि- लाभ का विश्लेषण करना भी आवश्यक है। चिंतन में उन विकल्पों को खोजने का भी प्रयास करना चाहिए जिनसे होने वाली संभावित हानि में कमी की जा सके।

अंततोगत्वा स्थितिप्रज्ञ चिंतन मनुष्य के लिए आवश्यक है, जिससे विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए भी मनुष्य हर संभव एक विवेकशील निर्णय ले सके ,
और हर संभव होने वाली परिस्थितिजन्य भावनात्मक त्रुटि से स्वयं को सुरक्षित रख सके।

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 276 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all

You may also like these posts

* फ़लक से उतरी नूर मेरी महबूब *
* फ़लक से उतरी नूर मेरी महबूब *
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
एक
एक "सहेली" एक "पहेली"
विशाल शुक्ल
अगर पुरुष नारी में अपनी प्रेमिका न ढूंढे और उसके शरीर की चाह
अगर पुरुष नारी में अपनी प्रेमिका न ढूंढे और उसके शरीर की चाह
Ranjeet kumar patre
Shankarlal Dwivedi reciting his verses in a Kavi sammelan.
Shankarlal Dwivedi reciting his verses in a Kavi sammelan.
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
हर कस्बे हर मोड़ पर,
हर कस्बे हर मोड़ पर,
sushil sarna
शेर
शेर
Phool gufran
क्यों ना बेफिक्र होकर सोया जाएं.!!
क्यों ना बेफिक्र होकर सोया जाएं.!!
शेखर सिंह
बादलों से बिछड़ कर बूंदे भी रोई होगी
बादलों से बिछड़ कर बूंदे भी रोई होगी
Rekha khichi
#पर्व_की_सीख
#पर्व_की_सीख
*प्रणय प्रभात*
तेरे हम है
तेरे हम है
Dinesh Kumar Gangwar
अच्छा खिलाड़ी वही है जो जज्बातों से नहीं , मैदानों में जज़्ब
अच्छा खिलाड़ी वही है जो जज्बातों से नहीं , मैदानों में जज़्ब
DR. RAKESH KUMAR KURRE
" REMINISCENCES OF A RED-LETTER DAY "
DrLakshman Jha Parimal
जन-जन प्रेरक बापू नाम
जन-जन प्रेरक बापू नाम
Pratibha Pandey
हमारी सोच
हमारी सोच
Neeraj Kumar Agarwal
मुझ को उस समय दगा मिला
मुझ को उस समय दगा मिला
Anil chobisa
ये जिन्दगी तुम्हारी
ये जिन्दगी तुम्हारी
VINOD CHAUHAN
लोगों के रिश्मतों में अक्सर
लोगों के रिश्मतों में अक्सर "मतलब" का वजन बहुत ज्यादा होता
Jogendar singh
सत्य सनातन है
सत्य सनातन है
Rajesh Kumar Kaurav
संत रविदास!
संत रविदास!
Bodhisatva kastooriya
हर खेल में जीत का आलम नहीं होता
हर खेल में जीत का आलम नहीं होता
दीपक बवेजा सरल
शिक्षक दिवस
शिक्षक दिवस
ARPANA singh
The Blessings of Mother Durga
The Blessings of Mother Durga
Ahtesham Ahmad
।। आरती श्री सत्यनारायण जी की।।
।। आरती श्री सत्यनारायण जी की।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
3333.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3333.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
अहंकार से बँचें
अहंकार से बँचें
अवध किशोर 'अवधू'
चुप रहना भी एक कला है,
चुप रहना भी एक कला है,
Buddha Prakash
उस दिल का दराज जला दिया..
उस दिल का दराज जला दिया..
TAMANNA BILASPURI
यूँ ही राह तकता रहता हूं किसी राहगुज़र की,
यूँ ही राह तकता रहता हूं किसी राहगुज़र की,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तेरे जाने के बाद
तेरे जाने के बाद
Surinder blackpen
जो हो इक बार वो हर बार हो ऐसा नहीं होता
जो हो इक बार वो हर बार हो ऐसा नहीं होता
पूर्वार्थ
Loading...