ये दुनिया मिटेगी , अदालत रहेगी

एक कलाम
1,,
ये दुनिया मिटेगी , अदालत रहेगी,
बड़े फ़ैसलों पर , क़यामत रहेगी ।
2,,
समझ ले अभी तू , है नादान बन्दा,
चलेगी उसी की , नदामत रहेगी ।
3,,,
ज़मीं को बराबर ,करेगा वो इक दिन,
पहाड़ों में उड़ती , शराफत रहेगी ।
4,,,
सभी एक सफ़ में खड़े होंगे उस दिन,
वहाँ पर न कोई , अज़ीयत रहेगी ।
5,,,
वो इन्साफ होगा , सभी से वहाँ पर ,
मिटे झूठ सारा , हक़ीक़त रहेगी ।
6,,,
मिलेगा वही जो , किया है यहाँ पर ,
मगर रब की मेरे , इनायत रहेगी ।
7,,,
अभी दर खुला है ,सभी मिलके मांगो,
यक़ीनन दुआओं , की बरकत रहेगी ।
8,,,
गुनाहों से अपने , बशर ‘नील’ कांपे ,
मगर सब की नेकी , सलामत रहेगी ।
✍🏻नील रूहानी…