गैर तो गैर थे मगर तुम भी!

चल दिए नजर फेरकर तुम भी,
अरे, गैर तो गैर थे, मगर तुम भी!
कैसे समझाऊं ये दिल की तड़प को,
रह गए खुद से भी दूर हम भी।
जिस राह पर चले थे साथ तुम्हारे,
वो राहें भी अब अनजान सी लगती हैं।
दर्द की गहराई में डूबे हुए,
खो गए हैं खुद की पहचान सी लगती हैं।
क्यों बिछड़ गए यूँ अचानक से तुम,
रह गए हैं बस सवालों से घिरे हम भी।
चल दिए नजर फेरकर तुम भी
अरे, गैर तो गैर थे, मगर तुम भी!