भाड़ में गई दुनिया

एक शब्द ने लोगों को व्यवहार बदलना सिखा दिया।
“क्या सोचेंगे लोग” शब्द ने ही तो सबका दिमाग हिला दिया।।
किसके पास है फुरसत इतनी सोच सके जो सबके लिये।
खुद के लिए समय उसे मिलेगा जिसने इस सोच को भुला दिया।।
तेरी चिंता बस यही तो है तू बहुत सोचता है सबके लिए।
सारी चिंता मिट जाएगी यदि तूने दुनिया को भाड़ में मिला दिया।।
तू देख सपने उन्हें पूरा कर बस यही तो तेरा मनोरथ है।
अपने सपनों को पूरा किया तो खुद को प्रभु से मिला दिया।।
सुबह शाम जो जाप करते हैं “भाड़ में गई दुनिया” का।
चिंता और तनाव को उसने अपने जीवन से भगा दिया।
फर्क नहीं पड़ता जीवन में लोगों के आने और जाने का।
अपने सपनों को कर साकार तूने दुनिया को दिखा दिया।।
कहे विजय बिजनौरी व्यक्ति का जीवन समाज से नहीं चलता।
तुमने तो समाज को सब दे दिया सोचो समाज ने क्या दिया।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।