sp85 रणचंडी की प्रतिमूर्ति रानी लक्ष्मी बाई
sp85 रणचंडी की प्रतिमूर्ति
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रणचंडी की प्रतिमूर्ति थी वह भारत की समर भवानी थी
हालातों से टकराई सतत वह भारत भू की छत्राणी थी
गद्दारों की गद्दारी से बलिदान हुई लड़ते लड़ते
समवेत स्वरों में स्वर गूँजा वह तो झांसी की रानी थी
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जिस राष्ट्र धर्म की रक्षा को चमकी तलवार भवानी थी
राणा का भाला ज्योतिपुंज बिजली झांसी की रानी की
मैं इनभारत के बेटों का इतिहास बताने आया हूं
मैं अपने सोए भारत को चैतन्य बनाने आया हूँ
इतिहास बदलने वालों को दर्पण दिखलाने आया हूं
मैं कविता पढ़ने नहीं चेतना दबी जगाने आया हूं
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उस वीरांगना को सतत नमन रानी की झांसी खूब लड़ी
मर मिटी आन पर खुद अपनी पर वह मर्दानी खूब लड़ी
इन सब की थाह नहीं मिलती होता सब का विस्तार बहुत
अंतस तक भेदन करती है पैनी कविता की धार बहुत
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
यह भी गायब वह भी गायब