क्यों छोड़ चला यूंही मझधार में कन्हैया

क्यों छोड़ चला यूंही मझधार में कन्हैया
क्यों बेवफा हुआ तू ओ सावलें कन्हैया
इस पार कैसे आऊं उस पार कैसे जाऊं
अब आ भी कन्हैया ओ रास के रचैया
क्यों छोड़ चला यूंही मझधार में कन्हैया
क्यों बेवफा हुआ तू ओ सावलें कन्हैया
इस पार कैसे आऊं उस पार कैसे जाऊं
अब आ भी कन्हैया ओ रास के रचैया