संप्रति - शिक्षक संचालक -G.v.n.school dungriya लेखन विधा- लेख, मुक्तक, कविता,ग़ज़ल,दोहे, लोकगीत भाषा शैली -...
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संप्रति – शिक्षक
संचालक -G.v.n.school dungriya
लेखन विधा- लेख, मुक्तक, कविता,ग़ज़ल,दोहे, लोकगीत
भाषा शैली – हिंदी और बुन्देली भाषा में रचनाएं
रस – मुख्य रूप से करुण रस, श्रृंगार रस, कभी कभी दो चार रचनाएं वीर रस में भी
कलम का परिचय –
ना बात करूं तलवारो की
न ढालो की कृपाणों की
ना बात करूं दीवानो की
दिलवालो की मस्ताँनो की
ना बात करूं राजा रानी के
किस्से मजहब पुरानो की
ना बात करूं उन कुत्तो की
उन कुत्तो के दिवानो की
ना बात करूं अधिकारी के
उन प्यारे से अधिकारो की
ना बातकरूं उस मालिक की
मालिक के माल गुजारो की
ना बात करूं उन लोगो की
जिनने लोगो को काट दिया
ना बात करूं गद्दारो की
जिनने हम उनको बाँट दिया
मैं बात करूं मा बेटी की
उन बेटो के संस्कारों की
मैं बात करूं मजदूरो की
भूखे लाचार किसानो की
मैं बात करूं अपनेपन की
“कृष्णा” उनको अपनाने की
मैं बात करूं समृद्धि की
सबको समृद्ध बनाने की
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