त्रेता के श्री राम

जिस वंश में बहे सदा, सत्य सनातन की लीला।
राजा भागीरथ के तप से, उतरे पुण्य गंग सलीला।।
जिस वंश में हुये थे, सत्य वादी राजा हरिश्चंद्र भी।
हर एक चले थे पथ सत्य, रघुकुल माणक चंद्र भी।।
त्रेता युग में भी युग सत, परम् प्रतापी उस वंश में।
हुये जितेन्द्रिय राजा दशरथ, सत्य सनातन वंश में।।
सूर्यवंश के सूरज में एक दिव्य सूरज जब चमका।
सत्य मर्यादा धरने को, श्री राम का खिला मनका।।
माता कौशल्या की कोख से, प्रभु प्राकट्य हो गये ।
मर्यादा धरने को राघव श्री राम अवतरण हो गये।।
चैत्र शुक्ल नवमी को, नक्षत्र आकाश में सज गये।
दिन मध्य अवध में, राम जन्म जलज खिल गये।।
अवध में राम लला के दर्शन को उमड़े नर नारी।
पुष्प खिले हर बगिया, सृष्टि छाई कोटि उजयारी।।
राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
(जय जय राम जय श्री राम)
(लेखक- डॉ शिव लहरी)