*वो पहली मुलाकात के बाद*
जब हम अलग हुए तो
एहसास हुआ कि कितने
खूबसूरत थे वे लम्हें जो
हमनें साथ बिताएं थें।
कितना सुन्दर था वो नज़ारा
जब हम इक दूजे का हाथ थामें
धीमे-धीमे कदमों से साथ चलें थें।
मेरे हाथ की रेखाएं कितनी जीवंत थीं
जब तुम्हारे हाथ की छुअन से मेरे
शरीर में इक धारा सी बहने लगी थी।
अफसोस वो पहली मुलाकात सिर्फ
इक अच्छी स्मृति बन कर रह गई है
इन हाथों में केवल खालीपन है
जिन्हें तुमने थामा था जब पहली बार मिलें थें।
हे प्रिये ! अब ख्वाहिश इतनी सी है इक बार फिर से
कुछ कदम साथ चल लेना मेरा हाथ थाम कर जैसे पहली बार चलें थें
शिव प्रताप लोधी