पिता
पिता
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अपने बच्चों के लिए
बहुत ही मजबूत होता है
एक पिता
उसके शरीर की हड्डियाँ
बूढ़ी होने के बाद भी
जिम्मेदारियों के बोझ से
दिन-ब-दिन मजबूत
होती रहती हैं
अगर टूटती भी हैं तो
खुद जुड़ने की ताकत रखती हैं
एक पिता की हड्डियाँ
हाँ दर्द होता है,
पीड़ा भी होती है
पर एक पिता इस दर्द से नहीं मरता
अपनी व्यथा खुद को ही बताकर
मजबूत महसूस करता है,
दम तोड़ देता है एक पिता उस दिन
जब उसका पुत्र ,
उसका अपना खून
अपनी सहधर्मिणी के साथ मिलकर
कटु बातों से,
पिता के बुढ़ापे को कोसता हुआ
जहर उगलता हुआ
पिता के मन की हड्डियों को
चूर-चूर कर देता है
भावनाओं की नसें चढ़ जाती हैं
मन की हड्डियों के टूटने के बाद
और फिर
यह दर्द झेल नहीं पाता एक पिता
विदीर्ण हृदय के साथ
दम तोड़ देता है
एक मजबूत पिता
पुत्र की जीत के साथ।
-अनिल कुमार मिश्र,राँची,झारखंड