अपनी डाली से मत बिछड़ना कभी

अपनी डाली से मत बिछड़ना कभी
बुजुर्गों की नेमत, न बिखरना कभी
पतझड़ के बिना, बसंत कुछ भी नहीं
बागवां के फूलों, न बिलखना कभी।।
सूर्यकांत
अपनी डाली से मत बिछड़ना कभी
बुजुर्गों की नेमत, न बिखरना कभी
पतझड़ के बिना, बसंत कुछ भी नहीं
बागवां के फूलों, न बिलखना कभी।।
सूर्यकांत