Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jan 2025 · 1 min read

इंद्रियों की भूख ही व्यक्ति को अपने मौलिक जीवन के लक्ष्य से

इंद्रियों की भूख ही व्यक्ति को अपने मौलिक जीवन के लक्ष्य से भटका देती है वासना की भूख, पेट की भूख,धन की भूख, ऐशो आराम की चाहत ,पद की भूख यही सारी क्रियाओं में इंसान इस अमूल्य जीवन को गंवा देता है।
RJ Anand prajapati

24 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

"कैसी ये दुनिया"
Dr. Kishan tandon kranti
धड़कन
धड़कन
Rambali Mishra
मिथिला बनाम तिरहुत।
मिथिला बनाम तिरहुत।
Acharya Rama Nand Mandal
3956.💐 *पूर्णिका* 💐
3956.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
sp55 भाभियाँ
sp55 भाभियाँ
Manoj Shrivastava
जिंदगी है कोई मांगा हुआ अखबार नहीं ।
जिंदगी है कोई मांगा हुआ अखबार नहीं ।
Phool gufran
ये
ये
Rashmi Sanjay
*बीमारी जिसको हुई, उसका बंटाधार (कुंडलिया)*
*बीमारी जिसको हुई, उसका बंटाधार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आज असंवेदनाओं का संसार देखा।
आज असंवेदनाओं का संसार देखा।
Manisha Manjari
चलो♥️
चलो♥️
Srishty Bansal
पता नहीं ये बस्ती जाने किस दुनिया से आई है।
पता नहीं ये बस्ती जाने किस दुनिया से आई है।
*प्रणय*
गीत मेरे जब ख्वाबों में
गीत मेरे जब ख्वाबों में
इंजी. संजय श्रीवास्तव
"सैनिक की चिट्ठी"
Ekta chitrangini
चलो अब कुछ बेहतर ढूंढते हैं,
चलो अब कुछ बेहतर ढूंढते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
झूठे, लोलुप, स्वार्थी और आत्ममुग्ध लोगों से दिल्ली की मुक्ति
झूठे, लोलुप, स्वार्थी और आत्ममुग्ध लोगों से दिल्ली की मुक्ति
गुमनाम 'बाबा'
जीवन का सार
जीवन का सार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
शिमला, मनाली, न नैनीताल देता है
शिमला, मनाली, न नैनीताल देता है
Anil Mishra Prahari
गुमनाम सा शायर हूँ अपने  लिए लिखता हूँ
गुमनाम सा शायर हूँ अपने लिए लिखता हूँ
Kanchan Gupta
कुछ लिख के सो,
कुछ लिख के सो,
साहिल कुमार
घर घर तिरंगा
घर घर तिरंगा
Dr Archana Gupta
लोकतंत्र
लोकतंत्र
करन ''केसरा''
क्यों रिश्तों में आता है बदलाव
क्यों रिश्तों में आता है बदलाव
Chitra Bisht
जीवन मे दोस्ती ऐसे इंसान से करो जो आपको भी समय आने पर सहायता
जीवन मे दोस्ती ऐसे इंसान से करो जो आपको भी समय आने पर सहायता
रुपेश कुमार
हैं भण्डार भरे
हैं भण्डार भरे
महेश चन्द्र त्रिपाठी
बाल कविता: मछली
बाल कविता: मछली
Rajesh Kumar Arjun
इश्क़ में  क्या अज़ाब है साहिब,
इश्क़ में क्या अज़ाब है साहिब,
पंकज परिंदा
* जिन्दगी *
* जिन्दगी *
surenderpal vaidya
संगिनी
संगिनी
Neelam Sharma
"हमारे बच्चों के भविष्य खतरे में हैं ll
पूर्वार्थ
मेरा दामन भी तार- तार रहा
मेरा दामन भी तार- तार रहा
Dr fauzia Naseem shad
Loading...