जिन्हें देखना कभी जुनून था,
हिंदी की भविष्यत्काल की मुख्य क्रिया में हमेशा ऊँगा /ऊँगी (य
मुरधर मांय रैहवणौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
14--- 🌸अस्तित्व का संकट 🌸
"सफलता कुछ करने या कुछ पाने में नहीं बल्कि अपनी सम्भावनाओं क
ज़िन्दगी अब तो कुछ करम कर दे,
नंबर पुराना चल रहा है नई ग़ज़ल Vinit Singh Shayar
ता-उम्र गुजरेगी मिरी उनके इंतज़ार में क्या?
मैं हूं न ....@
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
हम ही हैं पहचान हमारी जाति हैं लोधी.
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
ज़रूरत में ही पूछते हैं लोग,
*आऍं-आऍं राम इस तरह, भारत में छा जाऍं (गीत)*
तारे हैं आसमां में हजारों हजार दोस्त।