प्रतीक्षा की फुनगी पकड़े

प्रतीक्षा की फुनगी पकड़े
अनुभूतियों के दुशाले में छिपी
तुम्हारी स्मृति!
नवजात शिशु की सरल किलकारी की तरह
उमंगित कर जाती है
सम्पूर्ण दिवस को!
मैं चकित हूॅं
तुम्हारे प्रेम के प्रवाह में खोकर।
रश्मि ‘लहर’
प्रतीक्षा की फुनगी पकड़े
अनुभूतियों के दुशाले में छिपी
तुम्हारी स्मृति!
नवजात शिशु की सरल किलकारी की तरह
उमंगित कर जाती है
सम्पूर्ण दिवस को!
मैं चकित हूॅं
तुम्हारे प्रेम के प्रवाह में खोकर।
रश्मि ‘लहर’