मैंने वक्त बदलते देखा है चढ़ते सूरज को ढलते देखा है देखा है

मैंने वक्त बदलते देखा है चढ़ते सूरज को ढलते देखा है देखा है मैंने मुंह फेरते अपनों को देखा है मैंने टूटते हुए सपनों को मैंने रिश्तों को जलते देखा है मैंने हवाओ का रुख बदलते देखा है फ़ितरत की बात तो छोड़िये जनाब मैंने तो सीरत को बदलते हुए देखा है
मैंने वक़्त बदलते देखा है !!