जब खुली किताब की तरह कोई तुम्हारे सामने खड़ा हो तो महज़ उसके

जब खुली किताब की तरह कोई तुम्हारे सामने खड़ा हो तो महज़ उसके पन्ने मत पलटना
एक प्रतिध्वनि बनकर अपनी उपस्थिति के हस्ताक्षर भी करना
ताकि ताउम्र यह एहसास रहे उसको कि उसका किताब की तरह खुल जाना गलत निर्णय नहीं था…!!💯