ज़रा सी बात पर क्यों सब्र खोकर टूट जाता है

ज़रा सी बात पर क्यों सब्र खोकर टूट जाता है
ख़ुदा ईमान-ए-मोमिन इस जहां में आज़माता है
जहन्नम ख़ूबसूरत तो बना सकता नहीं इब्लीस
जहन्नम जाने का हर रास्ता दिलकश बनाता है
-जॉनी अहमद ‘क़ैस’
ज़रा सी बात पर क्यों सब्र खोकर टूट जाता है
ख़ुदा ईमान-ए-मोमिन इस जहां में आज़माता है
जहन्नम ख़ूबसूरत तो बना सकता नहीं इब्लीस
जहन्नम जाने का हर रास्ता दिलकश बनाता है
-जॉनी अहमद ‘क़ैस’